आसाराम से जुड़े महत्वपूर्ण प्रार्थना पत्र को हाईकोर्ट ने दी मंजूरी, तात्काली DCP की होगी गवाही, जानें पूरा मामला

नेशनल डेस्क। लंबे समय से जेल की सजा काट रहे आसाराम के मामले में गुरुवार को सुनवाई के दौरान, आसाराम के प्रार्थना पत्र को हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया है। ऐसे में अब तत्कालीन डीसीपी को अपील स्तर पर साक्ष्य के लिए बुलाने की अनुमति दी गई है। तत्कालीन डीसीपी अजय पाल लांबा के आने से इस मामले में नया मोड़ आ गया है।

 

बताया जा रहा कि तत्कालीन डीसीपी लांबा ने आसाराम बापू को लेकर एक पुस्तक लिखी थी। इसके बाद कोर्ट ने डीसीपी लांबा को 7 मार्च को पुस्तक की एक प्रति के साथ कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं। राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर मुख्यपीठ में अपनी ही शिष्या के यौन दुराचार के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम की ओर से सीआरपीसी 391 के तहत पेश प्रार्थना पत्र को मंजूर करते हुए तत्कालीन डीसीपी अजयपाल लाम्बा को अपील स्तर पर साक्ष्य के लिए बुलाने की अनुमति दी है।

 

वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने आसाराम के अधिवक्ता की ओर से पेश प्रार्थना पत्र सुनवाई पूरी करते हुए 25 जनवरी 2022 को फैसला सुरक्षित रखा था। हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रार्थना पत्र पर आदेश पारित करते हुए तत्कालीन डीसीपी अजय पाल लाम्बा को अपीलीय स्तर पर साक्ष्य के लिए पेश होने के आदेश दिए हैं।

 

कोर्ट ने 07 मार्च 2022 को तत्कालीन डीसीपी लाम्बा को व्यक्तिगत रूप से पुस्तक के साथ साक्ष्य के पेश होने के निर्देश दिए हैं। वहीं एक बार फिर आसाराम भी वीसी के जरिये कोर्ट कारवाई में सम्मिलित होंगे। कोर्ट ने राजकीय अधिवक्ता अनिल जोशी को निर्देश दिये हैं कि वो तीन दिन में तत्कालीन डीसीपी लाम्बा अभी कहां पोस्टेड है उसकी जानकारी रजिस्ट्री को देने के लिए कहा है।

 

 

तत्कालीन डीसीपी लाम्बा ने आसाराम को लेकर एक पुस्तक लिखी थी – गनिंग फोर द गॉडमैन, द ट्रयू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू कन्विक्शन। कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिये हैं कि सरकारी वकील से एड्रेस लेकर तत्कालीन डीसीपी लाम्बा को 07 मार्च को पुस्तक की एक कॉपी के साथ पेश होने के लिए कहा है। गौरतलब है कि आसाराम को ट्रायल कोर्ट की ओर से आजीवन कारावास की सजा के आदेश दिये थे। तत्कालीन डीसीपी पुस्तक कुछ विवादित तथ्य थे उसे लेकर आसाराम की तरफ से प्रार्थना पत्र पेश किया गया। उसे कोर्ट ने मंजूर किया।