आलोक मिश्रा चैनलहेड
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कांग्रेस के विधायकों की परफार्मेंस रिपोर्ट पर दो टूक नसीहत दी है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि रिपोर्ट कार्ड के आधार पर उन विधायकों को आत्मावलोकन करना होगा, जिनका परफार्मेंस बेहतर नहीं है। विधानसभा चुनाव में अभी वक्त है, ऐसे में वे बेहतर कार्यप्रणाली से अपनी स्थिति में सुधार कर सकते हैं। सूत्रों की मानें तो आंतरिक सर्वे में 71 में से 35 विधायकों की स्थिति को काफी चिंताजनक पाया गया है।
छत्तीसगढ़ में दिसंबर-2023 में विधानसभा चुनाव होना है। डेढ़ साल पहले कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में विधायकों के कमजोर प्रदर्शन ने सत्ता और संगठन की चिंता बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 4 मई से प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करने वाले हैं। ऐसे में विधायकों को उनके क्षेत्रों में सीएम की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है। बता दें कि कांग्रेस ने विधायकों के प्रदर्शन, क्षेत्र में सक्रियता, कार्यकर्ताओं से मुलाकात, सत्ता और संगठन में तालमेल सहित अन्य मुद्दों को लेकर मार्च से पहले एक आंतरिक सर्वे कराया है, जिसमें अधिकांश विधायकों की स्थिति काफी चिंताजनक मिली है।
विधायकों की कार्यकर्ताओं के बीच बढ़ी दूरी
सूत्रों की मानें तो विधायक चुने जाने के बाद नेताजी कार्यकर्ताओं के बीच अपनी पैठ नहीं बना पाए। कार्यकर्ताओं के साथ क्षेत्र से लगातार उनकी दूरी बढ़ती गई है। विधायकों की परफार्मेंस रिपोर्ट के आधार पर सीएम भूपेश बघेल ने 4 मई से शुरू होने वाले विधानसभा क्षेत्र के दौरे में पहले सरगुजा संभाग के सामरी विधानसभा और फिर बस्तर की सीट पर जाएंगे। सीएम को उम्मीद है कि चुनाव में अभी डेढ़ साल का समय है। ऐसे में विधायक सचेत हो जाएंगे तो पार्टी को नुकसान नहीं होगा। रायपुर में मीडिया से चर्चा में सीएम भूपेश बघेल ने साफ कहा कि अभी समय रहते सुधार किया जाएगा।
रिपोर्ट से सत्ता और संगठन की बढ़ी चिंता
प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में दौरे से पहले सीएम भूपेश बघेल के संकेतों के कई राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। रायपुर में चर्चा के दौरान मार्च से पहले कराए गए सर्वे के आधार पर विधायकों के रिपोर्ट कार्ड पर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट इशारा कर दिया कि लगातार समीक्षा की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री के इस बयान को कांग्रेस सरकार की चिंता के रूप में देखा जा रहा है। देश में सिर्फ छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस की मजबूत सरकार है। ऐसे में मिशन-2023 में एक बार फिर सत्ता वापसी के लिए सत्ता और संगठन में तालमेल के साथ जमीनी स्तर को मजबूत करना जरूरी है।
सत्ता और संगठन में तालमेल का अभाव
सूत्रों की मानें तो बस्तर संभाग व सरगुजा संभाग में आदिवासियों की नाराजगी को कम करने की दिशा में विधायकों का काम बेहतर नहीं पाया गया है। कांग्रेस संगठन और विधायकों के बीच आंतरिक कलह की बातें भी सामने आती रही है। राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की मौजूदगी में यह कलह खुलकर सामने भी आया है। संगठन के पदाधिकारी विधायकों पर अनदेखी का आरोप भी लगातार लगाते रहे हैं। वहीं कई विधायकों ने मंत्रियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अलग-अलग संभागों में भी कांग्रेस के कई गुट हैं। मंत्रियों के गुट बनने के बाद संगठन ने भी अपनी उपस्थिति के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है।