स्टेटहेड आलोक मिश्रा की खास रिपोर्ट
सीहोर में पं. प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम में चल रहे रुद्राक्ष महोत्सव का आज दूसरा दिन है। इसमें शामिल होने के लिए 5 लाख से अधिक लोग सीहोर में हैं। लाखों लोग आज सुबह से ही रुद्राक्ष लेने के लिए लाइन में लगे हैं। पंडित मिश्रा ने व्यवस्था होने के तमाम वादे किए थे, लेकिन ये सब खोखले ही साबित हुए। सैकड़ों लोग नाराज और दुखी हैं। यही नहीं, पूर्व घोषित कार्यक्रम के बावजूद प्रशासन की व्यवस्था भी घुटने टेकती दिखी।
भोपाल-इंदौर हाईवे पर अभी भी जाम की स्थिति है। गाड़ियां रेंग-रेंगकर ही चल रही हैं। सीहोर शहर की आबादी करीब डेढ़ लाख है। प्रशासन के मुताबिक, यहां 20 लाख लोग पहुंच चुके हैं। इधर, प्रदीप मिश्रा ने प्रशासन की समझाइश पर रुद्राक्ष बांटना बंद कर दिया है। आयोजन 22 फरवरी तक चलेगा, लेकिन रुद्राक्ष नहीं बांटे जाएंगे। आयोजन के दौरान 16 फरवरी को एक महिला की मौत हो गई थी। अब तक कुल दो महिलाओं की मौत हो चुकी हैं, इसके अलावा महाराष्ट्र से अपने माता-पिता के साथ सीहोर आए एक 3 साल के बच्चे की भी मौत हो चुकी है, जबकि 73 लोग बीमार हुए हैं।
अब सालभर मिलेंगे रुद्राक्ष
पंडित मिश्रा ने शुक्रवार को कथा के दूसरे दिन कहा- इस रुद्राक्ष उत्सव से, इसके पहले के रुद्राक्ष उत्सव से, उसके पहले वाले रुद्राक्ष उत्सव से यही सीखने को मिला है कि रुद्राक्ष उत्सव करो, आयोजन हो, रुद्राक्ष का शिवलिंग बने, अनुष्ठान भी हो। बस उस रुद्राक्ष को रुद्राक्ष उत्सव के समय वितरण नहीं करते हुए पूरे साल जो कुबेरेश्वर धाम आते हैं, उन्हें दिया जाए। जो भक्त नहीं आ सकते, वे साल में कभी भी आकर यहां से रुद्राक्ष ले सकते हैं।
भीड़ इतनी कि लोग गुम हो रहे
कुबेरेश्वर धाम में अपने परिजन से बिछड़ रहे हैं। ऐसे में लगातार माइक पर अनाउंसमेंट हो रहा है। आलम ये है कि कई घंटों बाद भी बिछड़े लोग अपने परिवार से नहीं मिल पा रहे। इसकी वजह रुद्राक्ष महोत्सव में श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड तोड़ भीड़ होना है। महोत्सव में शामिल होने आए लाखों श्रद्धालु रुद्राक्ष मिलने की आस में शुक्रवार सुबह तक भी कुबेरेश्वर धाम परिसर में डेरा जमाए बैठे हैं।
व्यवस्था नाम मात्र की नहीं, रुद्राक्ष फेंककर दिए
छत्तीसगढ़ की एक महिला ने कहा- इतनी अव्यवस्था होगी, यह सोचा नहीं था। पीने का पानी तो छोड़िए बाथरूम में ताले लगे थे। रुद्राक्ष फेंककर दिए तो कई लोग दब गए। कोई पूजा के रुद्राक्षों को ऐसा फेंकता है क्या। पूरी पब्लिक परेशान है। मैं 4 दिन से परेशान हूं, फिर भी रुद्राक्ष नहीं मिला। जब 16 तारीख से रुद्राक्ष देने की बात कही थी तो 15 तारीख को क्यों बांटने लगे। अब बिना रुद्राक्ष के लौट रहे हैं। पिछले साल भी महाराज जी ने ऐसा ही किया था। ऑटो वाले एक-एक व्यक्ति से 500-500 रुपए ले रहे हैं।
एक व्यक्ति ने कहा- कोई हादसा हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। पंडित जी ने कहा था कि एक महीने का बच्चा आया तो उसे भी रुद्राक्ष देंगे, उनके इस वादे का क्या हुआ। रुद्राक्ष तो छोड़िए, खाने-पानी तक की व्यवस्था नहीं कर पाए।
प्रशासन पर सवाल
इधर, पिछली बार फैली अव्यवस्थाओं से भी प्रशासन ने कुछ नहीं सीखा। इस साल भी भोपाल-इंदौर हाईवे पर जाम लगा है। लोगों को कई किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा। इसी रास्ते से आ-जा रहीं कई एम्बुलेंस भी फंस गईं। सीहोर कलेक्टर प्रवीण सिंह ने तर्क दिया कि पुराण कथा के नाम पर अनुमति ली गई थी। समिति ने 5 से 6 लाख लोगों के आने का अनुमान बताया था, फिर भी हमने 10 लाख लोगों के लिए धाम में जाने और बाहर आने के इंतजाम किए थे। सुबह से भीड़ बढ़ती गई और दोपहर 12 बजे तक करीब 20 लाख लोग पहुंच गए। ये अनुमान से दोगुना है। इसे कंट्रोल करना मुश्किल हो गया है। 5 पार्किंग रात में फुल हो गईं थीं। सुबह जो लोग पहुंचे, उन्होंने सड़क पर गाड़ियां लगा दीं। 95% लोग चार पहिया वाहन से पहुंचे। महोत्सव के लिए समिति ने सोशल मीडिया के जरिए आमंत्रण दिया। जिसे जो जानकारी मिली, वो पहुंच गया।
खुले आसमान के नीचे सोए लोग
कुबेरेश्वर धाम में हालात ये थी कि डोम फुल हो गया तो लोगों ने मैदान में ही साड़ी, चद्दर का बसेरा बनाकर सामान जमा लिया। जिसे जहां जगह मिली, वह वहीं पर बैठ गया। खुले मैदान में धूप बढ़ी तो श्रद्धालुओं ने चादर व साड़ी से छोटे-छोटे तंबू बना लिए। पैदल आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती देख पुलिस ने धाम तक पहुंचने के मुख्य द्वार को भी खोल दिया। महोत्सव में ज्यादातर श्रद्धालु रुद्राक्ष लेने ही आए हैं।
पं. प्रदीप मिश्रा के बेतुके बोल, अब बोले- रुद्राक्ष के लिए आ रहे हो तो मत आओ
कथा के दौरान 16 फरवरी को पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि लोग मौत से डरते हैं। कहते हैं कि हम केदारनाथ नहीं जाएंगे। वहां बहुत ठंड है, कुछ हो गया तो क्या होगा। अगर मौत आनी है तो आएगी ही, भले ही आप घर में ही क्यों न हो। आप 7 तालों में ही क्यों न बंद हो, मौत को आना है, तो वह आएगी ही। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जो लोग यहां रुद्राक्ष के लालच में आ रहे हैं तो वे न आएं। टिकट कैंसिल करा लो। यहां आना है तो महादेव के लिए आओ। उनसे क्या मिलेगा, उसके लालच में ना आओ। रुद्राक्ष के लिए आने की आवश्यकता नहीं है।