आलोक मिश्रा स्टेट हेड
छत्तीसगढ़ के आईपीएस बिरादरी में विजय अग्रवाल ऐसा निर्विवाद नाम है, जिन्हें सरकार कोई भी हो…हर डीजीपी और खुफिया चीफ चाहते हैं कि उनके जिले में वे एसपी रहे…तो ईओडब्लू चीफ चाहते हैं विजय अग्रवाल जैसा अफसर उनके पास हो। तभी सीएम हाउस में हुई हाई लेवल मीटिंग में सभी का एक ही मत था…इस सिचुएशन में विजय से बेहतर कोई नहीं।
बलौदा बाजार चौथा जिला
आईपीएस विजय अग्रवाल का एसपी के तौर पर चौथा जिला होगा। जशपुर उनका पहला जिला था, उसके बाद जांजगीर और सरगुजा। और अब बलौदा बाजार। वे लंबे समय तक राजधानी रायपुर के एडिशनल एसपी रह चुके हैं।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 80 किलोमीटर दूर बलौदा बाजार में हुई तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा के बाद सीएम विष्णुदेव सरकार ने सख्त तेवर दिखाते हुए जिले के कलेक्टर, एसपी को हटा दिया। एसएसपी सदानंद की जगह अंबिकापुर के एसपी विजय अग्रवाल को बलौदा बाजार का नया पुलिस कप्तान अपाइंट किया गया। विजय अग्रवाल को सरकार ने तुरंत ज्वाईन करने का एक लाइन का प्वाइंट दिया था। लिहाजा, उन्होंने सुबह सरगुजा आईजी के समक्ष रिलिविंग देते हुए बलौदा बाजार के लिए रवाना हो गए।और विजय अग्रवाल ने दोपहर बलौदा बाजार में ज्वाइन भी कर लिया।
तुरुप का इक्का क्यों?
विजय अग्रवाल को छत्तीसगढ़ पुलिस में तुरुप का इक्का कहा जा सकता है। सरकारें कोई भी हो, जब भी कोई क्रायसिस आता है, विजय अग्रवाल को वहां भेजा जाता है। बीजेपी की सरकार के समय 2018 में बिलासपुर में कांग्रेस नेताओं पर लाठी चार्ज हो गया था। एडिशनल एसपी का ट्रांसफर समेत बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारियो के खिलाफ कार्रवाई हुई थी। इसके बाद कोई पुलिस अधिकारी बिलासपुर जाना नहीं चाहता था। क्योंकि, वहां कांग्रेस नेताओं द्वारा बडा प्रदर्शन चल रहा था। तब रमन सरकार ने विजय अग्रवाल को भेजा। पिछली सरकार में वे जशपुर एसपी थे। जांजगीर में भीम आर्मी का प्रदर्शन और चक्का जामा चल रहा था। तब वहां के एसपी को हटाकर विजय को जांजगीर भेजा गया। जांजगीर जैसे जिले में विजय अग्रवाल सब कुछ ठीक कर दिया। कांग्रेस नेताओं के झगड़े में अंबिकापुर की पोलिसिंग ध्वस्त हो गई थी। सो, विष्णुदेव सरकार ने विजय को इसी साल जनवरी में अंबिकापुर भेजा था।
बैठक में एक ही नाम विजय
बलौदा बाजार हिंसा के बाद मुख्यमंत्री निवास में हाई लेवल मीटिंग बुलाई गई थी। इसमें नए एसपी पर भी चर्चा हुई। सभी ने एक सूर में विजय अग्रवाल का नाम सुझाया। तब मीटिंग में किसी ने कहा कि विजय को अंबिकापुर गए अभी छह महीने भी नहीं हुए हैं। मगर और कोई दूसरा नाम ऐसा दिखाई नहीं पड़ रहा, जो बलौदा बाजार में हालात को पटरी पर ला सके। ऐसे में, डीपी से लेकर इंटेलिजेंस चीफ, आईजी समेत सभी ने विजय अग्रवाल का नाम प्रपोज किया। विजय जशपुर के एडिशनल एसपी रहे हैं और एसपी भी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय उनकी वर्किंग को पर्सनल जानते हैं। तभी सरकार बदलने के बाद भी उन्हें जांजगीर से चुनौतीपूर्ण जिला अंबिकापुर का दायित्स सौंपा था। और अब बलौदा बाजार के लिए उनके नाम पर अंतिम मुहर लगाने में उन्होंने देरी नहीं लगाई।
बेसिक पोलिसिंग के एक्सपर्ट
छत्तीगसढ़ में बेसिक पोलिसिंग के जानकार माने जाते हैं विजय अग्रवाल। इंवेस्टिगेशन में भी खासी पकड़। नियमित थानों का निरीक्षण, देर रात तक गश्त, थानेदारों की मानिटरिंग, उनका शगल है। जिस जिलों में पोस्टेड रहे हैं, बड़े-बड़े मामलों को उन्होंने सुलझा दिया। जांजगीर में व्यापारी की हत्या के जटिल केस को उन्होंने हफ्ते भर में पर्दाफाश कर आरोपी आटो चालक को गिरफ्तार कर लिया था। दरअसल, आटो वाले ने झारखंड के एक व्यापारी की रात में हत्या कर उसके शव में अपने कपड़े पहना दिया और खुद उसका कपड़ा पहन कोरबा के होटल में छिप गया। सिर चूकि कुचल डाला था, इसलिए चेहरा बिगड़ चुका था। लोग समझे के आटो वाले की हादसे में मौत हो गई। आटो चालक के घर वालों ने उसका अंतिम क्रिया करने के साथ ही दशगात्र वगैरह करने की तैयारी में लग गए थे। मगर विजय अग्रवाल का माथा ठनका। उन्होंने इस केस की खुद विवेचना की। और आटो चालक को पकड़ने के बाद मर्डर मिस्ट्री के खुलासे हुए उससे पुलिस महकमा सन्न रह गया था।