कोरबा। प्रदेश में विलुप्त कई ऐसे जीव-जंतु अभी भी निवासरत हैं जिनकी जानकारी सरकारी आंकडों में दर्ज नहीं है। लेकिन जिले में पहली बार किंग कोबरा (नागराज) की मौजूदगी सरकारी दस्तावेज़ में रिकार्ड दर्ज कर ली गई है। इससे कुछ माह पहले जिले में घायल किंग कोबरा मिला था। उसके बाद से वन विभाग ने पापुलेशन डेंसिटी सर्वे करने का फैसला किया तो 3 माह में 4-4 किंग कोबरा मिल गए। इनमें से एक की लंबाई 14 फीट है। बताया गया कि यह इतना बड़ा है, अगर फन फैलाकर सतह से उठे तो इंसान जितनी ऊंचाई हो जाती है।
इस पर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसे जल्द ही केंद्रीय वन मंत्रालय को भेजा जाएगा। ताकि सांपों के डिस्ट्रिब्यूशन मानचित्र में छत्तीसगढ़ का नाम भी जुड़ जाए। जानकारी के मुताबिक पहले भी कोरबा में किंग कोबरा के होने की लगातार सूचनाएं मिलती रही थीं। मगर, 7 महीने पहले कोरबा में वन विभाग को घायल अवस्था में एक किंग कोबरा मिला था। पहली बार सितंबर, अक्टूबर और नवंबर तक विभाग ने नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के माध्यम से सर्वे करवाया। इसमें एम सूरज, मोइज अहमद, फैज बख्श, रामा कृष्णा और कोरबा के ग्रामीणों के जरिए पूरे वन क्षेत्र को 4 ग्रिड में बांटकर सर्वे करवाया गया। इसमें बड़ी सफलता मिली। सर्वे टीम के सदस्य मोइज और सूरज का कहना है कि कोरबा के जंगल में इनका आधिपत्य है।
वहीं सांपों के जानकारों का कहना है कि किंग कोबरा सांपों को खाता है, जिसके जरिए फूड चैन मैंटेन रहती है। जिस प्रकार शेर फूड चैन मेंटेन करता है। यह प्राकृतिक रूप से तय है। अगर इनका संरक्षण नहीं किया गया तो यह चैन ब्रेक होगी, और इसका असर यह होगा कि सांपों की संख्या तेजी से बढ़ेगी। जो मानव के लिए खतरा पैदा कर सकती है।
इन राज्यों में भी मिले हैं किंग कोबरा – असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक समेत दक्षिण भारत के कुछ राज्य।
किंग कोबरा के बारे में
- लंबाई- 18 फीट।
- कोरबा में मिला : 14 फीट का।
- उम्र : 20 वर्ष।
- रहवास : ठंडे क्षेत्रों में।
- खाना : छोटे किंग कोबरा से लेकर बैंडेड करैत तक का भोजन।
- प्रजनन : घोसला बनाकर एक बार में 15-20 अंडे देता है। इनकी 60 से 70 दिन तक सुरक्षा करता है।
लोगों ने कहा कि किंग कोबरा को लेकर कोरबा वाले दहशत फैला रहे हैं, मगर मैंने पाया कि ये वहां हैं। इनके सर्वे का प्रोजेक्ट उच्चाधिकारियों से चर्चा कर बनाया गया। अब तक एक-दो नहीं, चार किंग कोबरा देख चुके हैं।
-प्रियंका पांडेय, डीएफओ-कोरबा