नेशनल डेस्क | कुछ सप्ताह पहले दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ‘ओमिक्रॉन’ (B.1.1.529) दुनिया के सामने एक नई मुसीबत बनकर खड़ा हो गया है। वहीं WHO ने भी इस नए वैरिएंट को लेकर चिंता जाहिर की है। देश-विदेश के विशषज्ञों का मानना है कि ओमिक्रोन जैसे खतरनाक वैरिएंट पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज थैरेपी का कोई असर नहीं होता है।
नया वैरिएंट लगभग 14 देशों में पहुंचा
कोरोना का यह नया वैरिएंट धीरे-धीरे अपना पांव पसार रहा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ ओमिक्रोन जर्मनी, इटली, बेल्जियम, इजरायल और हांगकांग में भी इसके मामले सामने आए हैं। वहीं दक्षिण अफ्रीका से आने वाले यात्रियों की कड़ी निगरानी की जा रही है और लगातार जांच जारी है। साथ ही थाईलैंड ने अफ्रीका के आठ देशों से यात्रियों के आने पर पूर्ण पाबंदी लगा दी है।
एक्सपर्ट की राय-
कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर डॉ. सुभाष मिश्रा ने कहा- “ दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना का यह नया वैरिएंट लोगों को डरा रहा है। यूरोप, यूनाईटेड किंगडम, ब्राजील, बंगलादेश, चीन समेत कई देशों में ‘ओमिक्रोन’ लोगों को प्रभावित किया है। वहीं भारत सरकार के निर्देशनुसार विदेश से लौटे यात्रियों को RT PCR टेस्ट और 7 दिनों तक आइशोलेशन रहना होगा। साथ ही रिपोर्ट निगेटिव आने पर भी 7 दिनी होम क्वारंटाइन रहना होगा। यात्रियों के स्वास्थ्य पर नियमित जाँच की जाएगी और किसी भी प्रकार के लक्षण पाए जाने पर अस्पताल में भर्ती किया जाएगा। पॉजिटिव व्यक्ति के सेम्पल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजा जाना है।
क्या है जीनोम सिक्वेंसिंग ?
जीनोम सीक्वेंसिंग एक तरह से किसी वायरस का बायोडाटा होता है। कोई वायरस कैसा है, किस तरह दिखता है, इसकी जानकारी जीनोम से मिलती है। इसी वायरस के विशाल समूह को जीनोम कहा जाता है। वायरस के बारे में जानने की विधि को जीनोम सीक्वेंसिंग कहते हैं। इससे ही कोरोना के नए स्ट्रेन के बारे में पता चला है।
भारत में कहां-कहां है जीनोम सिक्वेंसिंग टेस्ट की सुविधा
गुजरात के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में एक बड़ी सफलता हासिल की है। यहां के वैज्ञानिकों ने देश में पहली बार कोरोना वायरस के पूरे जीनोम सिक्वेंस को खोजा है। गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के पूरे जीनोम सिक्वेंस को खोज लिया है। जीनोम सिक्वेंस से कोरोना वायरस की उत्पत्ति, दवा बनाने, वैक्सीन विकसित करने, वायरस के टारगेट और वायरस को खत्म करने को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें पता चलेंगी।
वैसे भारत में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा कम है। देश में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (नई दिल्ली), सीएसआईआर-आर्कियोलॉजी फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (हैदराबाद), डीबीटी – इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (भुवनेश्वर), डीबीटी-इन स्टेम-एनसीबीएस (बेंगलुरु), डीबीटी – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (NIBMG), (कल्याणी, पश्चिम बंगाल), आईसीएमआर- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (पुणे) जैसे चुनिंदा प्रयोगशालाएं हैं।