नेशनल डेस्क। देश में कोरोना मामले थमने की जगह लगातार बढ़ते ही जा रहा है। इस बीच विशेषज्ञों ने चौकाने वाले दावा किए हैं। वैज्ञानिकों की माने तो तीसरी लहर के दौरान रोज 4 से 8 लाख तक केस आ सकते हैं। गणितीय मॉडल के आधार पर कानपुर आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने दावा किया है कि इस दौरान मुंबई में रोज 30 से 60 हजार और दिल्ली में पीक के दौरान 35 से 70 हजार तक केस आएंगे। आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने यह दावा किया है।
डॉ. अग्रवाल ने अध्ययन के आधार पर कहा, केस बढ़ने पर स्थानीय स्तर पर अस्पतालों में बेड की कमी भी हो सकती है। पीक के समय देश में संक्रमित होने वालों की तुलना में डेढ़ लाख बेड की जरूरत पड़ सकती है। इससे पहले प्रो. अग्रवाल ने एक ट्वीट में कहा था कि पीक के दौरान रोज देश में दो लाख तक केस आएंगे।
इस पर उन्होंने कहा कि पहले दक्षिण अफ्रीका में आ रहे केस के आधार पर भारत में संक्रमण फैलने की रफ्तार का आकलन किया, पर अब जब देश में संक्रमण फैलने की शुरुआत हुई तो मॉडल में आंकड़े बदल गए हैं। अब सामने यह आया है कि देश में संक्रमण फैलने की रफ्तार दक्षिण अफ्रीका के मुकाबले कई गुना अधिक होगी। प्रो. अग्रवाल ने कहा कि अब सभी को सतर्क रहने की जरूरत है।
देश में शुक्रवार को टीकाकरण का आंकड़ा 150 करोड़ के पार पहुंच गया। 15 से 18 वर्ष के किशोरों के लिए 3 जनवरी से शुरू हुए टीकाकरण अभियान में अब तक 22 फीसदी से ज्यादा किशोरों को पहली खुराक दी जा चुकी है। इसके साथ ही 91 फीसदी से ज्यादा लोगों को पहला टीका दिया जा चुका है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि सभी मिलकर प्रयास करें तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
पिछले साल 21 अक्तूबर को भारत में 100 करोड़ टीकाकरण का आंकड़ा पार किया था। इस उपलब्धि पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, जब सभी साथ मिलकर प्रयास करते हैं तब कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में 91 फीसदी वयस्कों को टीके का कम से कम एक डोज लग चुका है, जबकि 66 फीसदी लोगों को दोनों खुराक दी जा चुकी है। पिछले साल 16 जनवरी को हुई थी टीकाकरण की शुरुआत।
दिल्ली-मुंबई में इसी माह पीक संभव
प्रो. अग्रवाल के मुताबिक दिल्ली और मुंबई में पीक जनवरी के तीसरे सप्ताह में आ सकता है। इस दौरान मुंबई से अधिक केस दिल्ली में मिलेंगे। मुंबई में केसों की तुलना में 10 हजार बेड, दिल्ली में केसों की तुलना में 12 हजार बेड की जरूरत पड़ सकती है।
डॉक्टर के कहने पर ही लें पैरासिटामोल : विशेषज्ञ
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोनारोधी वैक्सीन लेने वाले बच्चों को पैरासिटामोल डॉक्टरों की सलाह पर ही लेनी चाहिए। यह सलाह ऐसी सूचनाएं सामने आने के बाद दी गई है, जिनमें कहा गया है कि कुछ केंद्र वैक्सीन लेने के बाद बच्चों को पैरासिटामोल 500 की तीन गोलियां लेने की सलाह दे रहे हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, हमें नहीं पता कि वैक्सीन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कैसे बदल देती है। इसके बाद हल्का बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सुस्ती, सिरदर्द, इंजेक्शन लगने वाले स्थान पर सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वैक्सीन लेने के बाद ये लक्षण अमूमन दो दिन तक रहते हैं। इनके लिए किसी दवा की जरूरत नहीं है। ये खुद ठीक हो जाते हैं।