रायपुर/बिलासपुर। बीते मंगलवार को सड़क चौड़ीकरण के रास्ते आ रहे 2 मकानों की तोड़फोड़ की सुनवाई के लिए हाईकोर्ट रात करीब साढ़े 9 बजे खुला। इस मामले की सुनवाई के तुरंत बाद ही तोड़फोड़ रोकने के आदेश दिए। कोर्ट का आदेश जब पहुंचा तब कैलाशपुरी स्थित महाराजगंज रोड में सड़क चौड़ीकरण के रास्ते में आ रहे मकान में रहने वाले लोगों का समान खाली करवाकर तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू ही की जा रही थी।
वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए सुनवाई :
हाई कोर्ट के आदेश के बाद निगम का अमला लौट गया। पीड़ित परिवारों ने हाईकोर्ट में निगम और जिला प्रशासन की इस कार्रवाई के खिलाफ आवेदन लगाया था। रात 9:30 बजे हाई कोर्ट के जस्टिस ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मामले की सुनवाई की और तत्काल नगर निगम तथा जिला प्रशासन को कार्रवाई रोकने के आदेश दिए।
आपको बताते चलें कि हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए गुरुवार की तारीख तय की है। वहीं कैलाशपुरी के ढाल से महाराजगंज तालाब के किनारे की रोड को करीब 100 फीट चौड़ी करने के लिए नगर निगम ने 2015-16 में यहां की बस्ती को खाली करवा लिया है। उसके बाद से ही सड़क चौड़ीकरण का काम शुरू कर दिया गया था।
इसी बीच ठीक कैलाशपुरी ढाल के पास स्थित दो परिवारों ने मकान तोड़े जाने के खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका लगा दी थी। कोर्ट ने उसी समय स्टे दे दिया था। इस वजह से कार्रवाई रोक दी गई थी। अब फिर निगम ने नए सिरे से तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू की।
नगर निगम का तर्क है कि उक्त मकान सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाए गए हैं, जबकि पीड़ित परिवारों का कहना है कि यह उनकी जमीन है। पीड़ित परिवारों ने हाईकोर्ट में आवेदन लगाकर इसे अपनी जमीन बताई तथा नगर निगम इसे सरकारी जमीन होने का दावा करता रहा है।
2016 में हाईकोर्ट ने नगर निगम को आदेश दिया था कि सरकारी जमीन का सीमांकन कर उक्त दस्तावेज हाई कोर्ट में प्रस्तुत किया जाए और तब तक उक्त मकानों पर कार्रवाई प्रतिबंधित की जाए। इस तरह 2016 में मकान तोड़फोड़ के खिलाफ पीड़ित परिवारों को स्टे दिया गया था।