रायपुर आलोक मिश्रा
सामाजिक बहिष्कार का दंश निर्दोष परिवारों को कब तक डंसता रहेगा.
सामाजिक बहिष्कार अमानवीय .डॉ. दिनेश मिश्र
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने कहा पिछले दो दिनों में छत्तीसगढ़ के दो स्थानों से सामाजिक बहिष्कार की दो खबरे आयी हैं ,जिसमें से एक बिलासपुर रतनपुर के पास एक परिवार का बहिष्कार सिर्फ इस लिए कर दिया उस कि परिवार की महिला मीना बाई ने साड़ी का पल्लू उल्टा ले लिया था, इस तथाकथित गलती के लिए पूरे परिवार का बहिष्कार ,गांव छोड़कर बाहर रहना ,हुक्का बंद करना ,5000 जुर्माना लेकर भी वापस पुनः बहिष्कृत करना जैसी मनमानी 17 वर्षों से सहना पड़ रहा है जो कितना अमानवीय है .वैआ ही दूसरा मामला दुर्ग जिले के अकोली गांव का है जिसमें योगेंद्र वर्मा, उमरेश,दिलेश जैसे युवकों पर पंचायत ने अंतरजातीय विवाह करने पर 50 हजारसे 1 लाख जुर्माना, पूरे गांव को भोजन कराना , गांव भर से भीख माँगवाना ,सार्वजनिक अपमान आदि तरीकों से प्रताड़ित किया जाता रहा है , सामाजिक प्रताड़ना और बहिष्कार की इन इन गतिविधियों में सामाजिक पंचायतें, ग्राम पंचायतों के सरपंच ,भी शामिल रहते हैं
सामाजिक बहिष्कार के कुछ कुछ मामलों में तो आवाज उठाने पर राहत मिल जाती है पर अनेक मामले सामने नहीं आ पाते,कार्यवाही नहीं हो पाती और बहिष्कार अनिश्चित काल तक जारी रहता है
जबकि देश हर व्यक्ति को मौलिक अधिकार प्राप्त है ,अंतरजातीय विवाह भी कोई अपराध नहीं है जिसके लिए मनमानी सजा दी जाए.
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा सामाजिक पंचायतें सरकार से ही सारे अनुदान, जमीन,राशि,सहायता प्राप्त करती है पर सरकार के बनाये ही नियमों देश के ,संविधान का पालन नहीं करना चाहती . निर्दोष लोगों को अपने अनुसार अपराधी घोषित कर मनमानी सजाएं देती हैं ,प्रताड़ित करती हैं,ऐसी पंचायतों दोषी पदाधिकारियों पर तुरंत कार्यवाही होना चाहिए. साथ ही सरकार को सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ सक्षम कानून बनाना चाहिए. ताकि हर व्यक्ति को न्याय मिल सके .
डॉ.दिनेश मिश्र अध्यक्ष अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति.