हरभजन सिंह ने तोड़ी चुप्पी, BCCI पर साधा निशाना, कहा- धोनी कर सकते थे मेरी मदद

हरभजन सिंह - विकिपीडिया

खेल डेस्क। भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह ने बीते सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास लेने का ऐलान किया था। हरभजन ने अपने 23 साल के करियर में टीम को कई जीत दिलाई हैं। साल 2011 में विश्व चैंपियन बनी टीम इंडिया के हिस्सा भी रहे। हालांकि साल 2015 के बाद से वह टीम में वापसी नहीं कर पाए। संन्यास लेने के बाद अब हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि उनके टीम के बाहर होने के पीछे बीसीसीआई (BCCI) अधिकारी और महेंद्र सिंह धोनी थे।

हरभजन सिंह लंबे समय तक टीम इंडिया का अहम हिस्सा रहे. हालांकि 2011 के बाद वह टीम में आते-जाते रहे और पहले की तरह टीम का नियमित हिस्सा नहीं रह पाए। पहले उन्हें साल 2013 में हुई आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर किया गया और फिर 2015 वर्ल्ड कप में भी उन्हें नहीं चुना गया। हरभजन सिंह को 2016 में टी20 वर्ल्ड कप के लिए चुना तो गया लेकिन वह बेंच पर ही बैठे रहे। हरभजन ने करियर के आखिरी सालों उनके साथ हुए इस व्यवहार के लिए सिर्फ बीसीसीआई को ही नहीं धोनी को भी जिम्मेदार ठहराया।

बीसीसीआई अधिकारियों को किया टारगेट

हरभजन सिंह ने कहा कि वह बीसीसीआई के कुछ लोगों की वजह से आगे नहीं बढ़ पाए। उन्होंने कहा- अगर उन्हें मौका मिलता तो वह 4-5 और खेल सकते थे। उन्होंने कहा, ‘लक हमेशा मेरे साथ रहा है. सिर्फ कुछ बाहरी तत्व ही थे, जो मेरे पक्ष में नहीं थे। कह सकते हैं कि वे पूरी तरह मेरे खिलाफ थे। इसकी वजह यह थी कि मैं जिस तरह से गेंदबाजी कर रहा था और शानदार तरीके से आगे बढ़ रहा था। मैं 31 साल का था, तब तक मैं 400 विकेट ले चुका था। तब मेरे दिमाग में अगले 4-5 साल और खेलने का विचार था। मैं ज्यादा नहीं मेरे स्तर के हिसाब से यह कह सकता हूं कि 100 या 150 और विकेट तो लेता ही।’

एमएस धोनी का नहीं मिला समर्थन

उन्होंने आगे कहा, ‘एमएस धोनी तब कप्तान थे लेकिन मुझे लगता है कि यह बात धोनी के स्तर से ऊपर थी। कुछ हद तक, कुछ बीसीसीआई अधिकारी थे जो इसमें शामिल थे और वे नहीं चाहते थे कि मुझे कप्तान से कोई समर्थन प्राप्त हो, लेकिन एक कप्तान कभी भी बीसीसीआई से ऊपर नहीं हो सकता। बीसीसीआई का पलड़ा हमेशा कप्तान, कोच या टीम से बड़े रहे हैं। हरभजन ने कहा, ‘धोनी के पास अन्य खिलाड़ियों की तुलना में बीसीसीआई का ज्यादा समर्थन था और अगर बाकी खिलाड़ियों को भी उसी तरह का समर्थन मिलता, तो वे भी खेलते। ऐसा नहीं था कि बाकी खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन करना भूल गए या किया नहीं।’ भज्जी ने कहा, ‘हर खिलाड़ी भारत की जर्सी पहनकर संन्यास लेना चाहता है लेकिन किस्मत हमेशा आपके साथ नहीं होती और कभी-कभी आप जो चाहते हैं वह नहीं होता है।’