शावक के मौत बाद उसे ढूंढने निकले बाघ-बाघिन, दहाड़ से गूंजा अचानकमार का जंगल…

 

 बिलासपुर। अचानकमार के टिंगुपुर वन परिक्षेत्र में पिछले दिनों बाघ के शावक की लाश मिली थी। इसके बाद बाघ-बाघिन अपने बच्चे को ढूंढने निकले हैं। बताया जा रहा है अचानकमार के जंगलों में बाघ-बाघिन की दहाड़ गुंज रही है। गुस्से मे कही ग्रामीणों को बाघ बाघिन नुकसान न पहुँचा दे इसलिए वन विभाग ने जंगल से सटे गांवों में मुनादी करवा कर सतर्क रहने की हिदायत गांव वालों को दी हैं।

 

दरअसल, पिछले दिनों अचानकमार्ग के टिंगीपुर वन परिक्षेत्र में बाघ के शावक की दो-तीन दिन पुरानी शव मिली थी। शव मिलने के बाद हड़बड़ाये वन विभाग के उच्चाधिकारी सीसीएफ,समेत कई डीएफओ घटना स्थल पहुँच गए थे। शव के नाखून ,स्किन,दांत आदि सभी सुरक्षित थे जिससे शिकार की आशंका नही जतायी जा रही थी। शावक के शरीर पर तेंदुए के पंजे जैसे निशान थे जिससे तेंदुए के द्वारा मारे जाने की प्रारम्भिक आशंका थी। शव को पोस्टमार्टम के लिये भिजवाया गया हैं जिससे मौत के सही कारणों का व शावक के नर या मादा होने का पता चल सकें।

 

शावक की मौत के बाद अचानकमार्ग के जंगलों में उसे खोजने निकले बाघ व बाघिन कि दहाडो से जंगल के आस पास के गांव गूँज रहें हैं। बाघ व बाघिन के कदमों के निशान भी वन विभाग के अधिकारियों ने ट्रेप किये हैं। गुस्से मे कही ग्रामीणों को बाघ बाघिन नुकसान न पहुँचा दे इसलिए वन विभाग ने जंगल से सटे गांवों में मुनादी करवा कर सतर्क रहने की हिदायत गाँव वालों को दी हैं। इसके अतिरिक्त वन विभाग के कर्मचारियों को भी सतर्कता बरतने व अकेले जंगल मे न जाने को लेकर भी निर्देश जारी किए गए हैं।

 

सत्यदेव शर्मा, डिप्टी डायरेक्टर एटीआर ने कहा- “बाघ,बाघिन की दहाडो की आवाज सुन कर व उनके कदमों के निशान ट्रेप होने पर गांव वालों को सुरक्षित रहने की मुनादी करवाई गई थीं। साथ ही वन अमले को भी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए थे। फिलहाल दहाडो की आवाज आनी बन्द हो गयी हैं, जिससे लग रहा कि बाघ,बाघिन का मूवमेंट दूसरी तरफ हो गया हैं। पर फिर भी सावधानी वश सतर्कता बरती जा रहीं हैं।”