पिछले 3 दिनों से देश भर में आईटी डिपार्टमेंट की तरफ से छापेमारी की खबरे आरही है| जहां छत्तीसगढ़ में कोरबा, रायगढ़ और रायपुर के व्यापरियों के ठिकानों पर छापेमारी की कार्यवाही अब भी जारी है तो वही उत्तरप्रदेश में सपा नेताओं और उनके समर्थकों के घर पर हुए छापेमारी में सब को हैरान कर दिया है| बीते दिनों कानपुर के इत्र कारोबारी के ठिकानों पर छापे में डीजीजीआई ने सर्वोच्च गोपनीयता बरती। गुजरात की टीम ने स्थानीय अफसरों को हवा नहीं लगने दी कि छापा कहां मारा जाना है। इन टीमों को जब कारोबारी के घर पर नोटों का भंडार हाथ लगा तो मुख्यालय के जरिए आयकर विभाग को सूचना दी गई। आयकर अफसरों ने स्टेटबैंक से नोट गिनने की मशीनें मंगाईं और गिनती शुरू हुई, जो देर रात तक जारी है। करीब 90 करोड़ रुपए मिल चुके हैं। इनमें से 5 बजे शाम से पहले मिले नोट गिनती के बाद स्टेट बैंक भेजे जा चुके हैं। सबसे ज़्यादा हैरानी की बात तो ये है की जब अधिकारों ने नोटों के बंडल देखे तो उनके होश उड़ गए.
कुछ इस तरह टीम ने मारा छापा
यह छापामारी इतनी गोपनीय रखी गई कि डीजीजीआई(DGGI) के लोकल अधिकारियों को भी कुछ नहीं बताया गया। सूत्रों के मुताबिक अहमदाबाद की टीम ने लोकल के दो अफसरों से बात की। उन्हें बताया गया कि एक ऑपरेशन होना है। इसके लिए बिग बजार चलना है। कानपुर में कई बिग बाजार हैं? कहां पहुंचना है? यह पूछने पर पूछा गया कि कहां-कहां बिग बाजार हैं? जब स्थानीय अधिकारियों ने रावतपुर और परेड के बिग बाजार का नाम लिया तो मना कर दिया गया। दक्षिण कानपुर के बिग बाजार का नाम लेने पर वहीं बुला लिया गया। अधिकारी पहुंचे तो अहमदाबाद की टीम ने उन्हें सीलबंद लिफाफा दिया। कार में बैठने के बाद लिफाफे खोले गए। उसमें कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश थे। इसके बाद टीम ने इत्र कारोबारी के घर पर छापा मार दिया।